परिचालनाधीन खंड
मेट्रो रेलवे का इतिहास स्वीकृति
दमदम से टॉलीगंज के बीच 16.45 किमी की लंबाई पर मेट्रो रेलवे परियोजना को 1972-73 में स्वीकृति प्रदान की गई। इस परियोजना की आधारशिला 29, दिसंबर, 1972 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा रखी गई तथा निर्माण कार्य 1973-74 से प्रारंभ हुआ। कार्य का संशोधित लागत 1716.95 करोड़ रु. था।
कार्य प्रारंभ होती है …
भारतीय रेलवे के इंजीनियरों ने अपने स्वयं के अनुभव एवं विदेशों में अपने अध्ययन के बल पर देश में पहली बार नई तकनीकी को अपनाया :
(i) डायफ्राम दीवार एवं शीट पाइल्स के प्रयोग करते हुए कट एवं कवर प्रणाली
(ii) भूमि के भीतर निर्माण कार्य जारी रहने के दौरान खोदी गई भूमि के ऊपर सड़क परिवहन को जारी रखने हेतु विस्तृत डेकिंग का प्रयोग
(iii) कंप्रेस्ड वायु एवं एयर लॉक का प्रयोग करते हुए शील्ड टनलिंग तथा
(iv) इलस्टिक बंधनों, रबर पैडों, इपॉक्सी मोर्टर नाइलॉन इंसर्ट आदि के प्रयोग द्वारा रोड़ीरहित ट्रैक
वाणिज्यिक सेवा का प्रारंभ
निर्माण कार्य के प्रारंभ से ही इस परियोजना को विभिन्न समस्याओं का समाना करना पड़ा परंतु असंख्या बाधाओं एवं अविश्वास की सभी बैरियरों को पार करते हुए एस्प्लानेड एवं भवानीपुर (अब नेताजी भवन) के बीच 5 स्टेशनों के साथ 3.40 किमी की दूरी तय करते हुए 24 अक्टूबर, 1984 को आंशिक वाणिज्यिक सेवा के प्रारंभ होते ही यह वास्तविकता में परिणत हो गई।अन्य खंडों को बाद में चालू किया गया तथा दमदम से टॉलीगंज तक संपूर्ण खंड में 27.09.1995 से वाणिज्यिक सेवा को प्रारंभ कर दिया गया।