कोलकाता मेट्रो – सुधार की राह पर
अपने आकार में छोटा होते हुए भी मेट्रो रेलवे 1984 से ही अपनी यात्रा के माध्यम से कोलकाता के लोगों के ह्रदयों में अपनी विशिष्ट स्थान प्राप्त करने में सफल रही है। मेट्रो रेलवे को एक विशिष्ट पहचान दिलाने में मेट्रो रेल कर्मियों की अथक एवं अतुलनीय प्रयासों की अहम भूमिका रही है जिसके कारण मेट्रो रेलवे को ‘सिटी ऑफ ज्वॉय’ के रूप में उदघोषित एवं सम्मानित होने का अवसर प्राप्त हुआ सका है।
समयांतराल के साथ ही मेट्रो के वर्तमान स्वरूप में नए आधारभूत अवसंरचनाओं एवं आधुनिकतम प्रौद्योगिकी को सतत एवं निरंतर आधार पर अपनाया गया जिसके फलस्वरूप यात्रियों की संरक्षा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए परिवहन की एक सशक्त एवं प्रबल साधन उपलब्ध हो पाई है।
वर्तमान में मेट्रो रेलवे का भौगोलिक क्षेत्र 27 किमी. की लंबाई पर फैला हुआ है जिसका उचित समयांतराल पर 90 किमी. लंबी नई स्वीकृत परियोजनाओं के क्रियान्वित होने के बाद और अधिक बढ़ने की संभावना है और यह इस महानगर की संपूर्ण लंबाई एवं चौड़ाई को कवर कर सकेगी। इस सूक्ति (मेट्रो सर्वत्र) को वास्तविकता में परिणत करने एवं इसे स्पर्शगोचर बनाने के लिए सुविधाओं एवं अपेक्षाओं के क्षेत्र में प्रणाली को यात्री हितैषीपूर्ण बनाने की दिशा में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है।

मेट्रो के वर्तमान स्वरूप एवं आकार को और अधिक ऊँचाई पर ले जाने के हमारे प्रयास में मेट्रो प्रशासन ने उस सुधार की राह पर चलने का संकल्प लिया है जिस दिशा में वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए उपयुक्त संकल्पों (उद्देश्यो) को अवसर प्रदान कर दिए गए हैं। सुधार की चुनौतीपूर्ण राह में मेट्रो ने अपनी आंतरिक क्षमता का पुनर्अंकन कर लिया है। यह सुस्पष्ट है कि शत प्रतिशत बड़ी टिकट सुधार एवं विकास पर अधिक जोर देने हेतु सुधार की गति को लगातार जारी रखा जाएगा। अभिनव परिवर्तन मेट्रो संस्कृति की आधार-शैल होगी जो अंतत: हमारे प्रांत की रूपरेखा के प्राकार का निर्माण करेगी।