मेट्रो रेलवे, कोलकाता भारत की पहली भूमिगत मेट्रो रेलवे है। इसका विस्तार कोलकाता के व्यस्त उत्तर-दक्षिण धुरी पर दक्षिणेश्वर से गड़िया के पास स्थित कवि सुभाष मेट्रो स्टेशन तक 31.365 किलोमीटर की लंबाई पर 26 स्टेशनों और 15.70 किलोमीटर भूमिगत खंड के साथ फैला है। यातायात अध्ययनों के आधार पर दमदम - टॉलीगंज कॉरिडोर को सर्वप्रथम कार्यान्वयन के लिए चुना गया और 29 दिसंबर, 1972 से काम शुरू हुआ। भारत की पहली मेट्रो लाइन 24 अक्टूबर 1984 को बनकर तैयार हो गई और एस्प्लेनेड एवं भवानीपुर (नेताजी भवन) के बीच लगभग 3.4 किमी के विस्तार को जनता के लिए खोल दिया गया। मेट्रो रेलवे, कोलकाता का निर्माण 1972 से 2013 तक उत्तरोत्तर रूप से किया गया। चरण- I में दमदम से टॉलीगंज (महानायक उत्तम कुमार) तक 16.450 किलोमीटर लंबी लाइन का निर्माण 1995 में और चरण-।। के तहत महानायक उत्तम कुमार से कवि नजरूल मेट्रो स्टेशन तक 5.834 किलोमीटर का विस्तार कार्य अगस्त, 2009 में पूरा किया गया। अक्टूबर 2010 में पुन: मेट्रो सेवाओं को कवि सुभाष तक बढ़ाया गया जिसकी लंबाई 2.851 किलोमीटर है। 10 जुलाई, 2013 को दमदम से नोआपाड़ा तक 2.091 किलोमीटर विस्तार में वाणिज्यिक सेवा प्रारंभ किया गया। यह 13 फरवरी, 2020 को 6 स्टेशनों के साथ 5.3 किलोमीटर की लंबाई को कवर करते हुए साल्ट लेक सेक्टर-V से साल्ट लेक स्टेडियम तक पूर्व-पश्चिम में विस्तारित हुआ और 4 अक्टूबर, 2020 को साल्ट लेक स्टेडियम से फूलबगान (1.67 किमी) तक बढ़ा दिया गया। अंतिम चरण में नोआपाड़ा से दक्षिणेश्वर (4.139 किलोमीटर) तक के खंड को 23 फरवरी, 2021 से वाणिज्यिक संचालन के लिए खोल दिया गया।
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